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दिवाली से पहले बन रहा गुरु पुष्य योग, जानें सबसे अच्छा क्यों है?

योगी यति मुनि ध्यान लगावैं। शारद नारद शीश नवावैं॥

करत सदा शत्रुन क्षयकारी ॥ नन्दि गणेश सोहै तहँ कैसे ।

ईश्वर ने मेरे भाग्य में क्या लिखा है - प्रेरक कहानी

पण्डित त्रयोदशी को लावे। ध्यान पूर्वक होम करावे ॥

शंकर हो संकट के नाशन। मंगल कारण विघ्न विनाशन॥

अस्तुति केहि विधि करौं तुम्हारी। क्षमहु नाथ अब चूक हमारी॥

जन्म जन्म के पाप नसावे। अन्त धाम शिवपुर में पावे॥

प्रगट उदधि मंथन में ज्वाला। जरे सुरासुर shiv chalisa lyricsl भये विहाला॥

जय सविता जय जयति दिवाकर!, सहस्त्रांशु! सप्ताश्व तिमिरहर॥ भानु! पतंग! मरीची! भास्कर!...

अर्थ: माता मैनावंती की दुलारी अर्थात माता पार्वती जी आपके बांये अंग में हैं, उनकी छवि भी Shiv chaisa अलग से मन को हर्षित करती है, तात्पर्य है कि आपकी पत्नी के रुप में माता पार्वती भी पूजनीय हैं। आपके हाथों में त्रिशूल आपकी छवि को और भी आकर्षक बनाता है। आपने हमेशा शत्रुओं का नाश किया है।

कार्तिक श्याम और गणराऊ। या छवि को कहि जात न काऊ॥

कहैं अयोध्यादास आस तुम्हारी। जानि सकल दुःख हरहु हमारी॥

पण्डित त्रयोदशी को लावे। ध्यान पूर्वक होम करावे॥

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